मेरी खुशी हमेसा भटकती रही
कभी अपने ही सपने ख़रीद लेना सौदागर बनके,
एक गुल्लक रख रखी है मैंने,अपने सिरहाने,बड़ी सी...
तेवरी कोई नयी विधा नहीं + नीतीश्वर शर्मा ‘नीरज’
भक्त औ भगवान का ये साथ प्यारा है।
एक सांप तब तक किसी को मित्र बनाकर रखता है जब तक वह भूखा न हो
महफिलों में अब वो बात नहीं
लूट कर चैन दिल की दुनिया का ,
हिन्दी की गाथा क्यों गाते हो
Affection Couldn’t be Found In Shallow Spaces.
मै (अहम) का मै (परमात्मा) से साक्षात्कार
गीत- उड़ाओ प्यार के बादल...
घुंघट ओढ़ा हमने लाज़ बचाने के लिए
__________________
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
बज्जिका के पहिला कवि ताले राम
वक्त ए रूखसती पर उसने पीछे मुड़ के देखा था