Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Dec 2022 · 4 min read

■ एक आलेख : भर्राशाही के खिलाफ

■ मध्यप्रदेश में…
भारी पड़ सकती है “लूट की छूट”
★ नंगई व दबंगई पर आमादा है बिजली कम्पनी
★ गिरोह की तरह बर्ताव कर रहा है मैदानी अमला
★ आंकलित खपत के साथ अधिभार की भी चपत
★ लूटखसोट व अपमान से आहत है जनता जनार्दन
★ बेनागा झटकों के बदले दे सकती है तगड़ा झटका
【प्रणय प्रभात】
जहां एक ओर सस्ती और मुफ्त बिजली देकर आम आदमी पार्टी अपना जनाधार बढ़ाती जा रबी है। वहीं दूसरी ओर भाजपा शासित मध्यप्रदेश में बिजली के झटके आम आदमी को बेनागा लग रहे हैं। येन-केन-प्रकारेण सत्ता पर काबिज़ होती आ रही भाजपा सत्ता-मद में चूर है। जिसका लाभ कांग्रेस शासित दिग्गी सरकार का फ़ट्टा बिठा चुकी बिजली कम्पनी उठा रही है। ऐसा लग रहा है मानो कम्पनी बहादुरों और उनके कारिंदों को “लूट की छूट” मिल गई हो। आलम यह है कम्पनी के मैदानी अमले ने नंगई व दबंगई के अपने ही कीर्तिमान ध्वस्त करने का बीड़ा उठा लिया है। जो आम जनता को हरसंभव तरीके से लूटने व अपमानित करने में प्राण-पण से जुटा हुआ है। ऐसे में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री की अपने विभाग के ढर्रे व जनता की फजीहत के प्रति उदासीनता विडम्बना की बात है। मंत्री महोदय का ध्यान सुर्खियों में लाने वाले कामों में तो है, मगर उन सुर्खियों पर नहीं जो कम्पनों के कारिंदों की करतूतों के तौर पर आए दिन उजागर हो रही है। हर दिन किसी न किसी आयोजन और अनुत्पादक योजना के नाम पर घोषणाओं के बलबूते 2023 की जंग जीतने का खुमार सत्ता से संगठन तक के सिर पर सवार है। सरकार और संगठम को शायद इस बात का इल्म नहीं है कि चौतरफा लूट से आज़िज़ आ चुकी जनता इस बार के चुनाव में उसकी लू उतार सकती है। जिसकी एक वजह बिजली कम्पनी बनेगी।
बिना मीटर रीडिंग आंकलित खपत के आधार पर भारी-भरकम बिल बनाए जा रहे हैं। हर महीने समय से बिल वितरण की कोई व्यवस्था नहीं है। जिसकी वजह से या तो उपभोक्ताओं पर लंबे-चौड़े बिल की एकमुश्त अदायगी का बोझ बढ़ जाता है, या उन्हें जबरन वो अधिभार चुकाना पड़ता है जिसके लिए कम्पनी ज़िम्मेदार है। रसूखदार उपभोक्ताओं के बिल सुपरवाइजर या रीडर के साथ सांठ-गांठ के चलते सैकड़ों में आ रहे हैं। वहीं आम उपभोक्ताओं को थोपी गई मनमानी खपत के कारण हज़ारों का भुगतान करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। दिन-रात एसी और हीटर सहित घण्टों बोरवेल और वाटर पम्प चलाने वाले मामूली चढ़ावा चढ़ा कर मज़े लूट रहे हैं। जबकि ऊर्जा के सदुपयोग व बचत की भावना रखने वाले सामान्य उपभोक्ताओं को लगातार चपत लगती आ रही है।
ऊपर से मिले कथित आदेश का हवाला देकर वसूली का फंडा गैंग की तरह अमल में लाया जा रहा है। महीने के अंतिम सप्ताह में नसैनी (सीढी) लेकर बिजली काटने की धमकी देने के नजारे आम बात बने हुए हैं। वसूली दल की अगुवाई करने वाले जूनियर इंजीनियर व अमले के सदस्य आम परिवार की उन महिलाओं के साथ भी अभद्रता से बाज़ नहीं आते, जिनके भाई होने का दावा प्रदेश के मुखिया हर दिन ताल ठोक कर करते हैं। दूसरी ओर जरायमपेशा और असामाजिक लोगों की बस्तियों में जाने का हौसला अमले के पास नहीं है। जहां धड़ल्ले से बिजली चुराई व उपयोग में लाई जा रही है। चोरों के उपयोग में खपने वाली बिजली के दामों की भरपाई मैदानी दल ने खेल बना रखा है। जिसे आला अफसरों का खुला संरक्षण हासिल है।
ऐसे में यदि पीड़ित व अपमानित आम आदमी “आप” का दामन थाम ले तो कोई ताज्जुब नहीं किया जाना चाहिए। पिछले चुनाव में मिले जनादेश की प्रतिकूलता के बावजूद सत्ता के गलियारे में लौटी भाजपा ने हिमाचल और दिल्ली की हार से भी शायद कोई सबक़ नहीं लिया है। जनहित से जुड़े ठोस मुद्दों को ताक में रखकर हवा-हवाई वादों और दावों पर निर्भर भाजपा को समय रहते आम जन की आवाज़ कान खोल कर सुननी होगी। अन्यथा इस बार के नतीजे चौंकाने वाले होंगे।
बेहतर होगा कि मुख्यमंत्री बिजली कम्पनी के ढर्रों को सुधारने की दिशा में अपने स्तर पर कारगर पहल करें। प्रदेश में हर माह मीटर रीडिंग के स्पष्ट निर्देश जारी हों। वास्तविक खपत के आधार पर बिल पहले सप्ताह के अंत से पहले घरों तक पहुंचाना सुनिश्चित हो। भुगतान के लिए कम से कम 10 दिन का समय दिया जाए। उसके बाद मासांत तक सामान्य अधिभार के साथ राशि जमा कराने का प्रावधान हो। मैदानी अमले को गिरोह जैसे बर्ताव से बाज़ आने की हिदायत दी जाए। शौचालयों व नालों की सफाई का काम नगर निकाय को सौंप कर ऊर्जा मंत्री अपने विभागीय दायित्व के प्रति जागरूक हो सकें तो और बेहतर होगा। नहीं भूला जाना चाहिए कि चंद दिनों बाद शुरू होने वाला नया साल चुनावी है। जिसमे सरकार की नाव की पतवार आम जनता को ही थामना है। उसी आम जनता को जिसका कोई भी वर्ग फिलहाल संतुष्ट नहीं है। ऐसे में भाजपा को विपक्ष में बैठाने के लिए उभर रहे विकल्प की बल्ले-बल्ले हो सकती है। अब यह भविष्य ही तय करेगा कि भाजपा सरकार समय रहते अपने मुगालतों को दूर करने में कामयाब होती है या लूट को छूट के माहौल से बेपरवाह बने रह कर जनता की अदालत में खामियाजा भुगतती है?

Language: Hindi
1 Like · 145 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

उनको मंजिल कहाँ नसीब
उनको मंजिल कहाँ नसीब
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
- तुम बिन यह जिंदगी बेरंग हो गई है -
- तुम बिन यह जिंदगी बेरंग हो गई है -
bharat gehlot
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
‌सोच हमारी अपनी होती हैं।
‌सोच हमारी अपनी होती हैं।
Neeraj Agarwal
प्यार भरा इतवार
प्यार भरा इतवार
Manju Singh
क्यों हवाओं को दोष देते हो
क्यों हवाओं को दोष देते हो
Suryakant Dwivedi
4682.*पूर्णिका*
4682.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
" रफूगर "
Dr. Kishan tandon kranti
हर दिल गया जब इस क़दर गुनहगार हो
हर दिल गया जब इस क़दर गुनहगार हो
Ahtesham Ahmad
कुण्डलिया
कुण्डलिया
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
चलो दो हाथ एक कर ले
चलो दो हाथ एक कर ले
Sûrëkhâ
सत्य की खोज
सत्य की खोज
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जीवन बहुत कठिन है लेकिन तुमको जीना होगा ,
जीवन बहुत कठिन है लेकिन तुमको जीना होगा ,
Manju sagar
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
यदि हम कोई भी कार्य खुशी पूर्वक करते हैं फिर हमें परिणाम का
यदि हम कोई भी कार्य खुशी पूर्वक करते हैं फिर हमें परिणाम का
Ravikesh Jha
"किसी ने सच ही कहा है"
Ajit Kumar "Karn"
माँ मैथिली आओर विश्वक प्राण मैथिली --- रामइकबाल सिंह 'राकेश'
माँ मैथिली आओर विश्वक प्राण मैथिली --- रामइकबाल सिंह 'राकेश'
श्रीहर्ष आचार्य
अच्छाई
अच्छाई
Ritu Asooja
दोहा पंचक. . . . . आभार
दोहा पंचक. . . . . आभार
sushil sarna
कहने को बाकी क्या रह गया
कहने को बाकी क्या रह गया
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
वैज्ञानिक युग और धर्म का बोलबाला/ आनंद प्रवीण
वैज्ञानिक युग और धर्म का बोलबाला/ आनंद प्रवीण
आनंद प्रवीण
कहते है ये
कहते है ये
manjula chauhan
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀 *वार्णिक छंद।*
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀 *वार्णिक छंद।*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
खेल
खेल
*प्रणय*
कितने आसान थे सम्झने में
कितने आसान थे सम्झने में
Dr fauzia Naseem shad
काश !!..
काश !!..
ओनिका सेतिया 'अनु '
सच और झूठ की लड़ाई
सच और झूठ की लड़ाई
Minal Aggarwal
जिन्दगी में बरताव हर तरह से होगा, तुम अपने संस्कारों पर अड़े
जिन्दगी में बरताव हर तरह से होगा, तुम अपने संस्कारों पर अड़े
Lokesh Sharma
जज़्ब करना
जज़्ब करना
Chitra Bisht
देख कर चल मेरे भाई
देख कर चल मेरे भाई
Radha Bablu mishra
Loading...