चंद ख्वाब मेरी आँखों के, चंद तसव्वुर तेरे हों।
सच्चे हमराह और हमसफ़र दोनों मिलकर ही ज़िंदगी के पहियों को सह
दूहौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
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चुपचाप यूँ ही न सुनती रहो,
मैं ज्यादा पूजा-पाठ में यकीन नहीं करता। मैं ज्यादा मंदिर जान
क्या पता.... ?
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
अभी कहाँ आराम, परम लक्ष्य छूना अभी।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
रमेशराज के मौसमविशेष के बालगीत
*बचपन यादों में बसा, लेकर मधुर उमंग (कुंडलिया)*
I've learned a lot this year. I learned that things don't al