■ आस्था के आयाम…
#जंगल_में_मंगल
■ वनांचल में आस्था का द्वार : माँ का प्राचीन दरबार
★ दिन में तीन रूप बदलती हैं माँ अन्नपूर्णा
★ दरबार मे रोज़ बढ़ रहा है भीड़ का आकार
【प्रणय प्रभात】
वन-बहुल श्योपुर ज़िले के वनांचल में स्थित ग्राम पनवाड़ा के श्री अन्नपूर्णा दरबार मे इन दिनों आस्था का ज्वार उमड़ रहा है। जिसके आकार में आगामी 28 मार्च (सप्तमी) से अपार वृद्धि तय मानी जा रही है। जिसकी वजह बनेगा 30 मार्च (नवमी) तक चलने वाला पारंपरिक मेला। जिसके चलते ज़िले के तमाम रास्ते इस वनांचल ग्राम की ओर मुड़ते दिखाई देंगे। उमड़ती भीड़ के बीच तमाम भक्त कनक-दंडवत कर माता रानी के दरबार की ओर अग्रसर दिखेंगे। वहीं बड़ी संख्या में भक्तों द्वारा चुनरी, ध्वज व नेज़े चढ़ा कर अपनी भक्ति-भावना का परिचय देंगे।
आंचलिक शक्तिपीठ के रूप में मान्य इस प्राचीन मंदिर में हाज़िरी लगाने के लिए पहले दिन से पहुंच रहे भक्त तीखी धूप व गर्मी की मार से बेपरवाह नज़र आ रहे हैं। जो इस स्थल के प्रति उनकी दीर्घकालिक श्रद्धा का प्रमाण है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन से भक्तों की भीड़ में लगातार बढ़ोत्तरी जंगल मे मंगल की उक्ति को चरितार्थ कर रही है। आगामी सप्तमी, अष्टमी व नवमी पर उमड़ने वाले अपार जनसैलाब के मद्देनज़र जनपद सहित प्रशासन व पुलिस द्वारा हरसंभव प्रयास व प्रबंधों के दावे किए जा रहे हैं। जिनकी सत्यता आने वाले दिनों में ही साबित हो सकेगी।
कनक दंडवत व पदयात्रा कर दरबार तक पहुंचने वाले भक्त चुनरी, ध्वज और नेज़े लेकर कूच करने की तैयारी में है। जिनमे सबसे बड़ी संख्या वनांचल-वासी परिवारों की होगी। जयघोषों और भजनों की धूम पहले दिन से निरंतर बढ़ रही है। माता रानी के हर दिन तीन रूपों में दर्शन देने की मान्यता इस दरबार को बेहद रोमांचक व चमत्कारी बनाती है।जो दशकों से एक केिवदंति के रूप से प्रचलित है। जिसका आभास दर्शनार्थियों को अरसे से होता भी आ रहा है। सुबह कन्या, दोपहर में युवती व शाम को वृद्धा दिखाई देती है मातारानी की स्वयंभू प्रतिमा सदियों पुरानी व स्व-प्रकट है। जिसके दर्शन मन की मुरादें पूरी करने वाले हैं।
क़रीब चार दशक पहले तक उक्त मंदिर एक मढ़ैया जैसा था। घने जंगल के बीच विराजित अन्नपूर्णा माता के दर्शन आज की तरह आसान नहीं थे। कंटीली झाड़ियों के बीच ऊबड़-खाबड़ पगडण्डी भक्तों को दरबार तक ले जाती थी। जहां सुविधा या सुरक्षा के नाम पर कोई प्रावधान नहीं था। आज हालात पूरी तरह बदल गए हैं। कराहल तहसील मुख्यालय से गुज़रते राजमार्ग से ग्राम पनवाड़ा के लिए पक्की सड़क है। जिसका संकेत राजमार्ग पर नज़र आता बड़ा सा सिंह-द्वार देता है। अब गांव भी अच्छा-ख़ासा आबाद है। मंदिर बड़ा, पक्का और सुविधायुक्त हो गया है। जिसके बाहर नवरात्रि में हर चीज़ अस्थाई दुकानों पर मिल जाती है। सिंह-द्वार से दरबार तक ऑटो से लेकर बस तक सभी तरह के वाहन मुहैया हैं। सुरक्षा को लेकर भी कोई बड़ा संकट नहीं रहा है। भक्तजन निष्कंटक मातारानी की शरण में पहुंच सकते हैं। यही कारण है कि अब उक्त आस्था केंद्र वर्ष भर श्रद्धालुओं की आसान पहुंच में है।
【सम्पादक】
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