■ आज की सोच…
■ ऐसी सब्ज़ी…कैसी सब्ज़ी…?
ऐसी सब्ज़ी के बारे में सोच कर देखिए, जिसमें पानी हो, तेल हो, मसाले भी हों। बस सब्ज़ी के नाम पर घास का तिनका तक न हो। यही हाल राजनीति के हैं आज। जिसमें न राज की गरिमा है न नीति की महिमा।।
【प्रणय प्रभात】