सर्दियों का मौसम - खुशगवार नहीं है
సమాచార వికాస సమితి
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
हमें मजबूर किया गया 'अहद-ए-वफ़ा निभाने के लिए,
खुश रहोगे कि ना बेईमान बनो
उजड़ें हुए चमन की पहचान हो गये हम ,
कामवासना मन की चाहत है,आत्मा तो केवल जन्म मरण के बंधनों से म
बिना काविश तो कोई भी खुशी आने से रही। ख्वाहिश ए नफ़्स कभी आगे बढ़ाने से रही। ❤️ ख्वाहिशें लज्ज़त ए दीदार जवां है अब तक। उस से मिलने की तमन्ना तो ज़माने से रही। ❤️
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
आंसू जता देते है, दर्द कैसा है ?