चंचल मन चित-चोर है , विचलित मन चंडाल।
जी चाहता है रूठ जाऊँ मैं खुद से..
"मैं दिल हूं हिन्दुस्तान का, अपनी व्यथा सुनाने आया हूं।"
दो कदम लक्ष्य की ओर लेकर चलें।
जब हम गरीब थे तो दिल अमीर था "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
*दिल के रोग की दवा क्या है*
ध्यान क्या है और ध्यान कैसे शुरू करें व ध्यान के लाभ। भाग 2 | रविकेश झा।
जब जब तुझे पुकारा तू मेरे करीब हाजिर था,
इंडिया !! भारत से मिलवाता हूँ|
भाग्य ने पूछा हज़ारों बार,मैं तुम्हारा नाम ले पाया नहीं !
तीसरी बेटी - परिवार का अभिमान
" हो सके तो किसी के दामन पर दाग न लगाना ;
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
*ऑंखों के तुम निजी सचिव-से, चश्मा तुम्हें प्रणाम (गीत)*
समय का सिक्का - हेड और टेल की कहानी है
किसी का कचरा किसी का खजाना होता है,