हम शरीर मन बुद्धि से परे जा सकते हैं, बस हमें साहस की आवश्कत
शिवोहं
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
भाल हो
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
एक अधूरी सी दास्तान मिलेगी, जिसकी अनकही में तुम खो जाओगे।
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
हिंसा न करने का उथला दावा तथा उतावला और अनियंत्रित नशा एक व्
बुंदेली दोहा - सुड़ी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*अदृश्य पंख बादल के* (10 of 25 )
सजन हमने लगाई है तुम्हारे नाम की मेंहदी
*चलिए बाइक पर सदा, दो ही केवल लोग (कुंडलिया)*