देख लो आज़ उसकी चिट्ठी आई है,
राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस...
हाइकु (#हिन्दी)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
जो नहीं मुमकिन था, वो इंसान सब करता गया।
52.....रज्ज़ मुसम्मन मतवी मख़बोन
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
کوئی تنقید کر نہیں پاتے ۔
नफरत के कारोबारियों में प्यार बांटता हूं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
शाम हो गई है अब हम क्या करें...
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: ओं स्वर रदीफ़ - में
नाबालिक बच्चा पेट के लिए काम करे
संवेदनहीन प्राणियों के लिए अपनी सफाई में कुछ कहने को होता है
नफ़रतों के जो शोले........,भड़कने लगे
रिश्ते कैजुअल इसलिए हो गए है
क्या यह कलयुग का आगाज है?
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
अगर आप हमारी मोहब्बत की कीमत लगाने जाएंगे,