■ आज का शेर
■ हिचकी एक भरम….
“हिचकी” एक स्वाभाविक सी दैहिक क्रिया। जिसे विज्ञान अपनी दृष्टि से देखता है और इंसान अपने नज़रिए से। लोक-मान्यताओं के अनुसार हिचकी किसी के याद करने की वजह से आती है और उसी का नाम लेने से रुक जाती है। प्रेमी-जन अपने भरम को बनाए रखने के लिए न नाम लेना चाहते हैं, न हिचकी रोकना। यह भी शायद एक आस ही है, जिसके पीछे विश्वास है। मगर दमदार नहीं, बेहद कमजोर सा।।
【प्रणय प्रभात】