■ आज का शेर…
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■ आज का शेर…
मनहूस प्रजाति के उन जीवों के लिए, जो ग़लती से मानव-जाति का हिस्सा बने। ना ख़ुद किसी के हो सके, ना किसी को अपना बना सके। महज झूठी अकड़ के मारे।
●प्रणय प्रभात●
■ आज का शेर…
मनहूस प्रजाति के उन जीवों के लिए, जो ग़लती से मानव-जाति का हिस्सा बने। ना ख़ुद किसी के हो सके, ना किसी को अपना बना सके। महज झूठी अकड़ के मारे।
●प्रणय प्रभात●