मुग़ल काल में सनातन संस्कृति,मिटाने का प्रयास हुआ
लिखना पूर्ण विकास नहीं है बल्कि आप के बारे में दूसरे द्वारा
मुक्कमल कहां हुआ तेरा अफसाना
“लिखने से कतराने लगा हूँ”
हिन्दी ग़ज़ल के कथ्य का सत्य +रमेशराज
जो घटनाएं घटित हो रही हैं...
हम भी मौजूद हैं इस ज़ालिम दुनियां में साकी,
पोता-पोती बेटे-बहुएँ,आते हैं तो उत्सव है (हिंदी गजल/गीतिका)
कहाँ चल दिये तुम, अकेला छोड़कर
मेरी भावों में डूबी ग़ज़ल आप हैं
बंधन में रहेंगे तो संवर जायेंगे
23/176.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
जीवन में आप सभी कार्य को पूर्ण कर सकते हैं और समझ भी सकते है
लिखा है किसी ने यह सच्च ही लिखा है