हर पल तुमको खोने का डर...
कौन कहता है ये ज़िंदगी बस चार दिनों की मेहमान है,
"इंसान, इंसान में भगवान् ढूंढ रहे हैं ll
अंधेरों में अंधकार से ही रहा वास्ता...
हम कहाँ से कहाँ आ गए हैं। पहले के समय में आयु में बड़ों का स
- शिक्षा को सबको मिले समान अधिकार -
लिये मनुज अवतार प्रकट हुये हरि जेलों में।
*जब युद्धभूमि में अर्जुन को, कायरपन ने आ घेरा था (राधेश्यामी
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
इस सियासत की अगर मुझको अक्ल आ जाए
आंखे मोहब्बत की पहली संकेत देती है जबकि मुस्कुराहट दूसरी और
स्त्रियां अपना सर तभी उठाकर चल सकती हैं
गोंडीयन विवाह रिवाज : लमझाना