युगों की नींद से झकझोर कर जगा दो मुझको
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कुंडलिया (मैल सब मिट जाते है)
बेजुबाँ सा है इश्क़ मेरा,
समुद्रर से गेहरी लहरे मन में उटी हैं साहब
"" *गीता पढ़ें, पढ़ाएं और जीवन में लाएं* ""
जल रहे अज्ञान बनकर, कहेें मैं शुभ सीख हूँ
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
अच्छे दोस्त भी अब आंखों में खटकने लगे हैं,
*अमर रहे गणतंत्र हमारा, मॉं सरस्वती वर दो (देश भक्ति गीत/ सरस्वती वंदना)*
I Love To Vanish Like A Shooting Star.
कीमत क्या है पैमाना बता रहा है,
हिंदी साहित्य की नई विधा : सजल
जीवन में असफलता के दो मार्ग है।
"हम स्वाधीन भारत के बेटे हैं"
ठिकाने सभी अब बताने लगेंगे।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अदालत में क्रन्तिकारी मदनलाल धींगरा की सिंह-गर्जना