■ आज का दोहा
■ जय लोकतंत्र
आज का आभास अनायास छले जाने का। आंकड़ों की आड़ में, जनहित गया भाड़ में।
【प्रणय प्रभात】
■ जय लोकतंत्र
आज का आभास अनायास छले जाने का। आंकड़ों की आड़ में, जनहित गया भाड़ में।
【प्रणय प्रभात】