■ आज का दोहा…
■ बाय वन गेट मोर
【और बनो मुफ़्तखोर】
“चिर-परिचित अंदाज़ में,
बोले दीनानाथ।
काली रातें मुफ़्त लो,
अच्छे दिन के साथ।।”
【प्रणय प्रभात】
■ बाय वन गेट मोर
【और बनो मुफ़्तखोर】
“चिर-परिचित अंदाज़ में,
बोले दीनानाथ।
काली रातें मुफ़्त लो,
अच्छे दिन के साथ।।”
【प्रणय प्रभात】