सोचा जिनका आज से,कभी न लूँगा नाम
सुख हो या दुख बस राम को ही याद रखो,
दुर्घटनाओं के पीछे जन मानस में क्रांति हो...
ख़ुद्दारी
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
किस्मत भी न जाने क्यों...
अहसास से नम नहीं करतीं रिश्तों की मुलायिमत
हमको भी सलीक़ा है लफ़्ज़ों को बरतने का
ज़िंदा रहने से तो बेहतर है कि अपनें सपनों
**नेकी की राह पर तू चल सदा**
अति सर्वत्र वर्जयेत्
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}