ऐसे रूठे हमसे कि कभी फिर मुड़कर भी नहीं देखा,
मनवा मन की कब सुने, करता इच्छित काम ।
किसी पत्थर की मूरत से आप प्यार करें, यह वाजिब है, मगर, किसी
असत्य पर सत्य की जीत तभी होगी जब
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक
हिंदी दोहे - हर्ष
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
इतिहास में वही प्रेम कहानियाँ अमर होती हैं
लड़के रोते नही तो क्या उन को दर्द नही होता
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
"सहर होने को" कई और "पहर" बाक़ी हैं ....
*तन पर करिएगा नहीं, थोड़ा भी अभिमान( नौ दोहे )*
दर्शक की दृष्टि जिस पर गड़ जाती है या हम यूं कहे कि भारी ताद
जिन्दगी में कभी रूकावटों को इतनी भी गुस्ताख़ी न करने देना कि