Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 May 2023 · 1 min read

■ अपना मान, अपने हाथ

■ अपना मान, अपने हाथ
सम्मान कोई देता नहीं आज के दौर में। लेना पड़ता है खुद को दृढ़ बना कर।
★प्रणय प्रभात★

1 Like · 489 Views

You may also like these posts

रिश्ते-आम कह दूँ क्या?
रिश्ते-आम कह दूँ क्या?
Pratibha Pandey
चुप्पियाँ बढ़ती जा रही हैं उन सारी जगहों पर जहाँ बोलना जरूरी
चुप्पियाँ बढ़ती जा रही हैं उन सारी जगहों पर जहाँ बोलना जरूरी
Iamalpu9492
राष्ट्र की अभिमान हिंदी
राष्ट्र की अभिमान हिंदी
navneet kamal
The Saga Of That Unforgettable Pain.
The Saga Of That Unforgettable Pain.
Manisha Manjari
दोहा ग़ज़ल  .....(सुगंध )
दोहा ग़ज़ल .....(सुगंध )
sushil sarna
*बादलों की दुनिया*
*बादलों की दुनिया*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
सुन्दर फूलों के
सुन्दर फूलों के
surenderpal vaidya
23/09.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
23/09.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
*जिन पे फूल समझकर मर जाया करते हैं* (*ग़ज़ल*)
*जिन पे फूल समझकर मर जाया करते हैं* (*ग़ज़ल*)
Dushyant Kumar Patel
कभी कभी युही मुस्कुराया करो,
कभी कभी युही मुस्कुराया करो,
Manisha Wandhare
तुम्हें अहसास है कितना तुम्हे दिल चाहता है पर।
तुम्हें अहसास है कितना तुम्हे दिल चाहता है पर।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
करवाचौथ
करवाचौथ
Dr Archana Gupta
सुप्रभात
सुप्रभात
डॉक्टर रागिनी
जिंदगी की खोज
जिंदगी की खोज
CA Amit Kumar
या खुदाया !! क्या मेरी आर्ज़ुएं ,
या खुदाया !! क्या मेरी आर्ज़ुएं ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
सुना था कि मर जाती दुनिया महोबत मे पर मैं तो जिंदा था।
सुना था कि मर जाती दुनिया महोबत मे पर मैं तो जिंदा था।
Nitesh Chauhan
दुनिया
दुनिया
Mangilal 713
आशिक़ का किरदार...!!
आशिक़ का किरदार...!!
Ravi Betulwala
फल की इच्छा रखने फूल नहीं तोड़ा करते.
फल की इच्छा रखने फूल नहीं तोड़ा करते.
Piyush Goel
“क्यों आए हैं जीवन में ,क्या इसका कोई मूल है ।
“क्यों आए हैं जीवन में ,क्या इसका कोई मूल है ।
पूर्वार्थ
कौन हूं मैं?
कौन हूं मैं?
Rachana
"रिश्ते की बुनियाद"
Dr. Kishan tandon kranti
बधाई का असली पात्र हर उस क्षेत्र का मतदाता है, जिसने दलों और
बधाई का असली पात्र हर उस क्षेत्र का मतदाता है, जिसने दलों और
*प्रणय*
विचारमंच ✍️✍️✍️
विचारमंच ✍️✍️✍️
डॉ० रोहित कौशिक
हमारा नेता कैसा हो
हमारा नेता कैसा हो
Sudhir srivastava
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
फ़िक्र
फ़िक्र
Shyam Sundar Subramanian
चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत
seema sharma
कागज़ की नाव.
कागज़ की नाव.
Heera S
एक घर था*
एक घर था*
Suryakant Dwivedi
Loading...