■ इसे भूलना मत…
■ गुमशुदा न हो जाना…!
अपने आप में कभी-कभी गुम होना स्वाभाविक है। बावजूद इसके ख़ुद में इस हद तक गुम नहीं होना चाहिए कि आप दुनिया के लिए गुमशुदा हो कर रह जाएं। याद रहे कि अपने परिजन और प्रियजन को मरने के बाद महज 3 से 13 दिन याद रखने वालों से भरी पड़ी है सारी दुनिया। इसलिए जब तक जीना है अपने खोल के बाहर आकर जिओ। ताकि जीवन का मान बना रहे।।
【प्रणय प्रभात】