■ अटल भरोसा…
■ घड़ा भरा और लाठी बजी…!!
अमर्यादित बोल, अनियंत्रित कृत्य और क्षुद्र स्वार्थों पर केंद्रित उन्माद कुछ समय के लिए व्यथित कर सकती है, पर विचलित नहीं। हम उस परम्परा के साधक, उपासक व संवाहक हैं, जिसमें कर्म-फल की प्रधानता है। हम “जो जस करहिं सो तस फल पावा” वाली शाश्वत मान्यता के प्रबल पक्षधर हैं। अच्छे से जानते हैं कि परम-सत्ता की बिना आवाज़ वाली लाठी सही समय पर अपने आप बज जाएगी। बस घड़ा भर जाए एक बार।।
【प्रणय प्रभात】