■ अटपटी-चटपटी…
#रचना_की_रसोई
■ स्पेशल थाली : फोकट वाली
【प्रणय प्रभात】
“भावनाओं का भात,
कामनाओं की दाल,
तनाव का तड़का,
बाधाओं का बघार,
रस्मों का रायता,
ख्वाबोँ की खीर,
दर्द का दही-बड़ा,
सहानुभूति की सोंठ,
हसरतों का हलवा,
वादों का मुरब्बा,
दावों का अचार,
सोच का सलाद,
चाहत की चटनी,
प्यार का पापड़,
सलाह की सब्ज़ी,
रिवाज़ों की रोटी,
पाखंड का पुलाव,
सब अनलिमिटेड,
यह है जीवन रूपी
ढाबे की स्पेशल थाली।
वो भी बिना पैसों की
फ्री-फोकट वाली।
तब तक खाते जाओ
जब तक अघा न जाओ।।
रोज़ चलने दो सिलसिला,
कोई भरोसा नहीं कि ये ऑफ़र
कल मिला या ना मिला।।”
【यह कविया है, कथा है या क्या है, नूझे खुद नहीं पता। पता बझ इतना है कि कुछ तो ख़ास है इसमें। बाक़ी आप बताएं】