■लगन तुझसे लगी■
लगन तुझसे लगी,
दिल में है प्रीत जगी,
आशा हमारी है तू।
सजन अब तेरे बिन,
कटते हैं दिन गिन गिन,
नभ में बनके आवारा,
बादल बन बरसूँ।
आशा हमारी है तू।
लगन………………।
देखो है सावन आया,
पपीहा राग सुनाया,
कुंढ़न अपने दिल की ,
कैसे कहूँ।
आशा हमारी है तू।
लगन …………….।
तेरा सपनों में आना,
उठा के गले लगाना,
हिया के जोर झकोरे,
जगकर मैं बैठूँ।
आशा हमारी है तू।
लगन…………….।
बता कैसे जिऊँ,
जफ़ा का विष ही पियूँ,
कहो निःशब्द ही होकर,
लबों को अपने सिऊँ।
आशा हमारी है तू।
लगन……………..।
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अशोक शर्मा,कुशीनगर, उ.प्र.
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