⏳-कर्म क्या हैं ?
-कर्म व्यापार नही है !
-चार बुरे कर्म किये, चार अच्छॆ कर्म कर दे, हिसाब बराबर हो जाये, ऐसे नहीं होगा ।
-बुरे से बुरे, अच्छे से अच्छे परिणाम बढ़ कर मिलेंगे । इस में वकील मदद नहीं कर सकता ।
-कर्म से आनंद, कर्म से संतुष्टि मिलती है, असंतोष भी मिलता है ।
-कर्म न करने का फल
-व्यापार या नौकरी करते है, उसका फल है, अच्छे पैसे ।
-व्यापार या नौकरी नहीं करते हैं, तो फल है, तंगी, पैसे क़ी कमी ।
-मनन चिंतन
-हर घटना के साथ मनन चिंतन होना चाहिये । सुबह से लेकर रात तक जो भी घटनाएँ होती है, उनपर मनन चिंतन होना चहिये ।
-जानवर जहाँ जाते हैं, मनन चिंतन नहीं करते । मनुष्य जहां भी जाता है, मनन चिंतन करता है ।
-किसी जानवर को मन में क्रोध आने पर अगर मारने को दौड़ते है, तो उसका फल उन्हे सजा मिलती है ।
-वे कार्य जिन पर मनुष्य का नियंत्रण नहीं है, उसका फल भी नहीं मिलता । जैसे सपने आना, हाथ पैर हिलाना ।
-सूक्ष्म स्तर पर हर कर्म के पीछे जो सोच रहे, वास्तव में वह कर्म है ।
-जिस विचार वाणी व कर्म से सामाज का भला हो, लोगो को अच्छा लगे, सुख महसूस हो उसे पुण्य कर्म कहते है ।
-जिस काम से मानव, जानवर, पक्षी, जीव की हानि हो, नुकसान हो, जिस शब्द से किसी को बुरा लगे, दुख पहुंचे, उसे पाप कर्म कहते है ।
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