√√दल बदलू ( हास्य बाल कविता)
दल बदलू ( हास्य बाल कविता)
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नेताजी ने थी चुनाव लड़ने की मन में ठानी,
खर्च किया ऐसे जैसे नदिया में बहता पानी ।।
नहीं मिला जब टिकट क्रोध से ऊँचा पहुँचा पारा,
फोन लगाया कई दलों को दफ्तर घूमे सारा ।।
बात हुई जब पक्की ,टोपी नई पहन कर आए ,
दल बदला नेताजी ने ,फिर दलबदलू कहलाए ।।
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा,
रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451