√√घर के बाहर म्याऊँ ( गीत )
घर के बाहर म्याऊँ ( गीत )
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घर के बाहर मत जा लल्ला ,घर के बाहर म्याऊँ
(1)
बचपन में मैं झूठमूठ ही तुझको रही डराती
कहाँ पता था म्याऊँ घर के बाहर सचमुच आती
घूम रही सड़कों पर कहती है तू आ मैं खाऊँ
घर के बाहर मत जा लल्ला ,घर के बाहर म्याऊँ
(2)
बचपन वाली सीख मानकर लल्ला फिर डर जाना
घर के बाहर जाने का मतलब है मौत बुलाना
हाथ जोड़कर मैं बूढ़ी माँ प्रिय तुझको समझाऊँ
घर के बाहर मत जा लल्ला, घर के बाहर म्याऊँ
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451