यूं आसमान हो हर कदम पे इक नया,
एक परोपकारी साहूकार: ‘ संत तुकाराम ’
किसी भी रूप में ढ़ालो ढ़लेगा प्यार से झुककर
जीवन दर्शन मेरी नज़र से. .
फलों से लदे वृक्ष सब को चाहिए, पर बीज कोई बनना नहीं चाहता। क
#संबंधों_की_उधड़ी_परतें, #उरतल_से_धिक्कार_रहीं !!
हे राम,,,,,,,,,सहारा तेरा है।
तालाब समंदर हो रहा है....
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
शिलालेख पर लिख दिए, हमने भी कुछ नाम।
चार शेर मारे गए, दर्शक बने सियार।
क्यों इस तरहां अब हमें देखते हो
वो परिंदा, है कर रहा देखो