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4 Jul 2024 · 1 min read

മനസിന്റെ മണ്ണിചെപ്പിൽ ഒളിപ്പിച്ച നിധി പോലെ ഇന്നും നിന്നെ ഞാൻ

മനസിന്റെ മണ്ണിചെപ്പിൽ ഒളിപ്പിച്ച നിധി പോലെ ഇന്നും നിന്നെ ഞാൻ കാത്തു സൂക്ഷിക്കുന്നു……………..
ഇനി ഒരിക്കലും സ്വന്തമാകില്ല എന്നറിഞ്ഞിട്ടും മണ്ണോടു മണ്ണായി ചേരും വരെ ഒരുമിച്ചുണ്ടാകും എന്ന നിന്റ ഉറപ്പാണ് എന്റെ ശ്വാസനാളം……………..

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