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10 Sep 2024 · 1 min read

സങ്കടപ്പുഴയിൽ.

കവിത
_________________________

കഴിയില്ല ഉള്ളിലൊതുക്കീടുവാൻ.
കഴിയില്ലയാരോടും ഉരിയാടുവാൻ.

കഴിയില്ല സങ്കടപ്പുഴ നീന്തുവാൻ,
കുഴയുന്നു കൈകളും കാൽകളും.

കദനം കഥിക്കാൻ ഒരുങ്ങുമ്പോഴോ
നിറയുന്നു കണ്ണുകൾ ,
ഇടറുന്നു വാക്കുകൾ.

വിതുമ്പുന്നു അധരങ്ങൾ ; അറിയാതെ
വിറയാർന്നു പോകുന്നു ഞാനും.

കഴിയില്ലയീ യാത്ര മതിയാക്കുവാൻ
കഴിയില്ലയീ യാത്ര തുടരുവാനും .

അറിയില്ല മുന്നിലെ വഴിയിലായി,
ഇനിയെന്തു കാര്യങ്ങൾ കാത്തിരിപ്പൂ.

അറിയുവാനാർക്കും കഴിവുമില്ല
എന്താണു ഭാവിയെന്നുള്ള കാര്യം.

വരികൾ
ഹീര ഷൺമുഖം

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