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9 Jan 2022 · 1 min read

ਸਰਬੰਸ ਦਾਨੀ

ਕਦੇ ਉਹ ਚੇਲਾ ਤੇ ਕਦੇ ਪੀਰ ਬਣਿਆ ਸੀ।
ਜ਼ਾਲਮਾਂ ਲਈ ਤਲਵਾਰ ਤੇ ਤੀਰ ਬਣਿਆ ਸੀ।

ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਲਈ ਤਾਂ ਉਹ ਪੀਰ ਬਣਿਆ ਸੀ,
ਵੈਰੀ ਲਈ ਲਿਸ਼ਕਦੀ ਸਮਸ਼ੀਰ ਬਣਿਆ ਸੀ।

ਗੁਰੂ ਪਿਤਾ ਨੂੰ ਬਲੀਦਾਨ ਲਈ ਤੋਰਨ ਵਾਲਾ,
ਕਦੇ ਉਹ ਸਪੁੱਤਰ ਤੇ ਕਦੇ ਵਜ਼ੀਰ ਬਣਿਆ ਸੀ।

ਆਪਾ ਵਾਰ ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਨੂੰ ਸਜਾਉਣ ਵਾਲਾ,
ਕੋਈ ਕਿਵੇਂ ਬੁੱਝੇ ਵੱਖਰੀ ਲਕੀਰ ਬਣਿਆ ਸੀ।

ਜੰਗਲਾਂ ਵਿਚ ਫਿਰੇ ਕੱਲਾ ਉਹ ਗੀਤ ਗਾਉਂਦਾ,
ਪੰਥ ਲਈ ਸਰਬੰਸ ਵਾਰ ਫਕੀਰ ਬਣਿਆ ਸੀ।

ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਲਗਦਾ ਸੀ ਭਾਵੇਂ ਉਹ ਹੈ ਕਾਫ਼ਰ,
ਬਹੁਤਿਆ ਲਈ ਉੱਚ ਦਾ ਪੀਰ ਬਣਿਆ ਸੀ।

ਜ਼ਾਲਮ ਦੇ ਹਿਰਦੇ ਨੂੰ ਵਲੂੰਧਰਨ ਦੇ ਲਈ,
ਸ਼ਬਦਾਂ ਦਾ ਵੀ ਉਹ ਇੱਕ ਤੀਰ ਬਣਿਆ ਸੀ।

ਦਿੱਸਦਾ ਸੀ ਜਿਸਨੂੰ ਹਰ ਪਾਸੇ ਨੂਰ ਅਲਾਹੀ,
ਪਿਆਸ ਨੂੰ ਜਲ, ਫੱਟਾਂ ਲਈ ਲੀਰ ਬਣਿਆ ਸੀ।
ਮਨਦੀਪ ਗਿੱਲ ਧੜਾਕ
9988111134

Language: Punjabi
2 Likes · 381 Views
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