भाग्य प्रबल हो जायेगा
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
if you have not anyperson time
ग़ज़ल : उसने देखा मुझको तो कुण्डी लगानी छोड़ दी
नहीं टिकाऊ यहाँ है कुछ भी...
सब कुछ खोजने के करीब पहुंच गया इंसान बस
कुछ तो उन्होंने भी कहा होगा
-मोहब्बत का रंग लगाए जाओ -
*खो दिया सुख चैन तेरी चाह मे*
कई बार मेरी भूल भी बड़ा सा ईनाम दे जाती है,