पूरा कुनबा बैठता, खाते मिलकर धूप (कुंडलिया)
याद रखना कोई ज़रूरी नहीं ,
फूल
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
सियासत कमतर नहीं शतरंज के खेल से ,
इश्क में तेरे
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
नहीं किसी का भक्त हूँ भाई
रक़ीबों के शहर में रक़ीब ही मिलते हैं ।
प्रेम भरे कभी खत लिखते थे
किसी का प्यार मिल जाए ज़ुदा दीदार मिल जाए
ख़्वाहिशों को कहाँ मिलता, कोई मुक़म्मल ठिकाना है।
बाहर से खिलखिला कर हंसता हुआ
When you think it's worst
Diploma in Urdu Language & Urdu course| Rekhtalearning
मेरा भाग्य और कुदरत के रंग...... एक सच
विज्ञान का चमत्कार देखो,विज्ञान का चमत्कार देखो,