निर्मल निर्मला
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जो बीत गया उसकी ना तू फिक्र कर
हिंदी साहित्य की नई : सजल
‘मेरी खामोशी को अब कोई नाम न दो’
घर छूटा तो बाकी के असबाब भी लेकर क्या करती
रक्षाबंधन की सभी भाई बहनों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयां
मुझे नाम नहीं चाहिए यूं बेनाम रहने दो
*पाई जग में आयु है, सबने सौ-सौ वर्ष (कुंडलिया)*
ओ पंछी रे
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
ये दिल उन्हें बद्दुआ कैसे दे दें,
उसी वक़्त हम लगभग हार जाते हैं
देखें क्या है राम में (पूरी रामचरित मानस अत्यंत संक्षिप्त शब्दों में)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
दोहा छंद विधान ( दोहा छंद में )
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक
#भारतभूमि वंदे !
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी