फ़ितरतों से बाज आ
ऐ मेरे अजीबोगरीब दोस्त अपनी हरक़तों से बाज आ।
मुझे गिराने की अपनी नापाक हसरतों से बाज आ।
माना के तेरी जिद है मुझे बरबाद करने की,
तनिक आराम कर और ऐसी फ़ितरतों से बाज आ।
– सिद्धार्थ पाण्डेय
ऐ मेरे अजीबोगरीब दोस्त अपनी हरक़तों से बाज आ।
मुझे गिराने की अपनी नापाक हसरतों से बाज आ।
माना के तेरी जिद है मुझे बरबाद करने की,
तनिक आराम कर और ऐसी फ़ितरतों से बाज आ।
– सिद्धार्थ पाण्डेय