फ़िकर कोई न होती थी
फ़िकर कोई न होती थी किसी का दिल न रोता था,
किसी पीपल के नीचे खाट डाले मैं भी सोता था।
तरक्की हो गयी लेकिन घुटन सी आज होती है,
वो गुजरा दौर भी क्या दौर था जब चैन होता था।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 31/05/2022
फ़िकर कोई न होती थी किसी का दिल न रोता था,
किसी पीपल के नीचे खाट डाले मैं भी सोता था।
तरक्की हो गयी लेकिन घुटन सी आज होती है,
वो गुजरा दौर भी क्या दौर था जब चैन होता था।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 31/05/2022