ज़िम्मेदारियाँ बड़ा बनाती हैं
इंसान उम्र से बड़ा नहीं होता, सोच को बड़ा करना पड़ता है। सोच के दाम पर ही ज़िम्मेदारियाँ निभाना आती हैं, ज़िम्मेदारी उठाकर इंसान बड़ा बन जाता है।
इंसान उम्र से बड़ा नहीं होता, सोच को बड़ा करना पड़ता है। सोच के दाम पर ही ज़िम्मेदारियाँ निभाना आती हैं, ज़िम्मेदारी उठाकर इंसान बड़ा बन जाता है।