ज़िन्दगी के सफर मे… अब अकेले ही चलना पड़ेगा…..देखकर यूँ अंदाज़ तेरे…!!
क्यूँ नुमाईस करुँ कि.. साथ दे तू मेरा,
तुझे क्या पड़ी है कि… मेरी ज़िन्दगी अंधेरा है या सवेरा…
मैं कोशिश करता रहता हूँ, मुश्किलों को दरकिनार करने की,
पर तू भूल जाता है बार-बार, जो बुरा वक़्त मुझपे था गुजरा…!!
दो निवाला कम मिले तो चलेगा,
दो घड़ी नींद कम हो तो भी चलेगा….
पर दो घड़ी की खलल मुझे बर्दास्त नहीं,
मुझे अब किसी के होने और ना होने का भी स्वाद नहीं,
तेरे दिखावे से जुड़े मेरे कभी ख्वाब नहीं…!!
ख़ामोशी से सुन लेता हूँ, मुस्कुराते हुए अल्फाज़ तेरे,
जाने क्यूँ चुप-सा हो जाता हूँ, देखकर हालात और जज़्बात तेरे,
मेरे माथे पर मंडराते है, बेशक़ कुछ एहसान तेरे,
आया था भरोसे तेरे, पर लगता है कि…. ज़िन्दगी के सफर मे…
अब अकेले ही चलना पड़ेगा…..देखकर यूँ अंदाज़ तेरे…!!
❤Love❤
Ravi….?