ज़रा बैठो निहारें, आज हम नज़दीक से
1222 + 1222 + 1222 + 12
नज़र में रहते हो, मिलते नहीं क्यों ठीक से
ज़रा बैठो निहारें, आज हम नज़दीक से
कभी तो बोलिये, वो बात जो दिल में छिपी
ज़रा सी दूरियाँ बढ़ने लगीं तारीक* से
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*तारीक — तमिस्र, अंधकारमय, अँधियारा।