ज़रा छुपा ले….
ज़रा छुपा ले… चेहरें की इस मुस्कुराहट को,
कोई घूर रहा था…कही नज़र न लग जाए!
ज़रा छुपा ले…आँखों की इन उम्मीदों को,
कोई गुन-गुना रहा था…कोई चुरा न ले जाए!
मैं बस दुआ कर सकता ख़ुदा से कि,
सलामत रखे तेरे इस उपहार को,
फिर भी ज़रा ढक ले…चरित्र की इन तरंगों को,
कोई महसूस कर रहा था…कही छू न जाए!!
–सीरवी प्रकाश पंवार