ग़ज़ल
उनकी आँखों में ख़्वाब बाकी है,
हल्का- हल्का शबाब बाकी है।
दिल कई बार आरजू करता,
उनको देना गुलाब बाकी है।
ये नया वक्त ठहरता ही नहीं,
वक्त से भी हिसाब बाकी है।
दर्दे दिल मिल गया समुंदर में,
आँसुओं का बहाब बाकी है।
जिंदगी ख़त्म हो रही हर पल,
उसको जीना जनाब बाकी है।
उम्र ढलती है, बदलते चेहरे,
एक सुंदर नकाब बाकी है।
जो कभी थे बड़े नवाब सहज,
एक बोतल शराब बाकी है।
जगदीश शर्मा सहज