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17 Jul 2021 · 1 min read

बेकार बाटे सादगी

बेकार बाटे सादगी
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ना लहर बा आशिकी के ना बचल कवनो खुशी
का कहीं अब हाल आपन खो गइल बा जिंदगी

जे मिले दिलवे दुखावे चोट खाईं रोज हम
अब समझ में आ गइल बेकार बाटे सादगी

हर तरफ बा स्वार्थ के आइल अमावस देखि लऽ
ये अमावस से मगर खोजे के बाटे चाँदनी

बा जहर से भरि गइल भाई इहाँ वातावरन
ये शहर में मिल न पाई गाँव के ऊ ताजगी

कारखाना तू लगावऽ शौक से बाकिर सुनऽ
गंदगी से भरि गइल बा देश के सगरो नदी

का निराशा के भंँवर में डूब के सोचेलऽ तू
जे लगन से लागि जाला खोजि लेला रोशनी

झुंड में ‘आकाश’ चींटी आ चले बकुला मगर
आजकल देखल न चाहे आदमी के आदमी

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 17/07/2021

377 Views

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