Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Mar 2018 · 1 min read

ग़ुरबत उसकी

ग़ुरबत थी उसकी कुछ अपनी ।
निग़ाह यार क्यों बदल गया ।
रंग लगे थे फीके फीके सभी ,
हर रंग बैरंग उसे कर गया ।
….. विवेक दुबे”निश्चल”@..

Language: Hindi
196 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
আমি তোমাকে ভালোবাসি
আমি তোমাকে ভালোবাসি
Otteri Selvakumar
कसौटियों पर कसा गया व्यक्तित्व संपूर्ण होता है।
कसौटियों पर कसा गया व्यक्तित्व संपूर्ण होता है।
Neelam Sharma
"शिष्ट लेखनी "
DrLakshman Jha Parimal
सात शरीर और सात चक्र को जानने का सरल तरीके। लाभ और उद्देश्य। रविकेश झा।
सात शरीर और सात चक्र को जानने का सरल तरीके। लाभ और उद्देश्य। रविकेश झा।
Ravikesh Jha
क्या मथुरा क्या काशी जब मन में हो उदासी ?
क्या मथुरा क्या काशी जब मन में हो उदासी ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
बुढ़ापा हूँ मैं
बुढ़ापा हूँ मैं
VINOD CHAUHAN
क्या यही संसार होगा...
क्या यही संसार होगा...
डॉ.सीमा अग्रवाल
नवरात्रि का छठा दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी को
नवरात्रि का छठा दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी को
Shashi kala vyas
अब तुझपे किसने किया है सितम
अब तुझपे किसने किया है सितम
gurudeenverma198
// तुम सदा खुश रहो //
// तुम सदा खुश रहो //
Shivkumar barman
4024.💐 *पूर्णिका* 💐
4024.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कितनी हीं बार
कितनी हीं बार
Shweta Soni
न दिल किसी का दुखाना चाहिए
न दिल किसी का दुखाना चाहिए
नूरफातिमा खातून नूरी
__सुविचार__
__सुविचार__
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
बहुत याद आता है
बहुत याद आता है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
* बताएं किस तरह तुमको *
* बताएं किस तरह तुमको *
surenderpal vaidya
आंखों में ख़्वाब है न कोई दास्ताँ है अब
आंखों में ख़्वाब है न कोई दास्ताँ है अब
Sarfaraz Ahmed Aasee
फेसबुक वाला प्यार
फेसबुक वाला प्यार
के. के. राजीव
चुनावी घनाक्षरी
चुनावी घनाक्षरी
Suryakant Dwivedi
मैं अकेला महसूस करता हूं
मैं अकेला महसूस करता हूं
पूर्वार्थ
दूरी इतनी है दरमियां कि नजर नहीं आती
दूरी इतनी है दरमियां कि नजर नहीं आती
हरवंश हृदय
#दुःखद_दिन-
#दुःखद_दिन-
*प्रणय प्रभात*
सारे शारीरिक सुख को त्याग कर मन को एकाग्र कर जो अपने लक्ष्य
सारे शारीरिक सुख को त्याग कर मन को एकाग्र कर जो अपने लक्ष्य
Rj Anand Prajapati
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
" नम पलकों की कोर "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
Shyam Sundar Subramanian
मेरे पास नींद का फूल🌺,
मेरे पास नींद का फूल🌺,
Jitendra kumar
आब-ओ-हवा
आब-ओ-हवा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
" लेकिन "
Dr. Kishan tandon kranti
*सत्य-अहिंसा की ताकत से, देश बदलते देखा है (हिंदी गजल)*
*सत्य-अहिंसा की ताकत से, देश बदलते देखा है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
Loading...