Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Sep 2021 · 1 min read

ग़म न कर

खुश रहो,ग़म न करो,
दिन दो की है जिन्दगानी।
खून की रवानी, जिस्म की जवानी,
ये सब हैं ज्यों बहता पानी।
थम जाएगा बन समन्दर ,
ढह पड़ेगा तन का सिकंदर।
बस रह जाएगा तू बनकर
इक भूली हुई सी कहानी।
जी ले जी भर मुस्करा ले,
होगी ग़मगीनी तेरी नादानी।
©®
Gn

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 284 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दोस्त को रोज रोज
दोस्त को रोज रोज "तुम" कहकर पुकारना
ruby kumari
माँ अपने बेटे से कहती है :-
माँ अपने बेटे से कहती है :-
Neeraj Mishra " नीर "
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*ताना कंटक एक समान*
*ताना कंटक एक समान*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
everyone has a story. It might or might not be a love story.
everyone has a story. It might or might not be a love story.
पूर्वार्थ
"स्मृति स्तम्भ-गुड़ी"
Dr. Kishan tandon kranti
शिव सुखकर शिव शोकहर, शिव सुंदर शिव सत्य।
शिव सुखकर शिव शोकहर, शिव सुंदर शिव सत्य।
डॉ.सीमा अग्रवाल
या खुदाया !! क्या मेरी आर्ज़ुएं ,
या खुदाया !! क्या मेरी आर्ज़ुएं ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
छोड़ो  भी  यह  बात  अब , कैसे  बीती  रात ।
छोड़ो भी यह बात अब , कैसे बीती रात ।
sushil sarna
"शाम-सवेरे मंदिर जाना, दीप जला शीश झुकाना।
आर.एस. 'प्रीतम'
मीठा गान
मीठा गान
rekha mohan
वैवाहिक चादर!
वैवाहिक चादर!
कविता झा ‘गीत’
अब वो मुलाकात कहाँ
अब वो मुलाकात कहाँ
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
कर लो कर्म अभी
कर लो कर्म अभी
Sonam Puneet Dubey
शहर के लोग
शहर के लोग
Madhuyanka Raj
लेखक कि चाहत
लेखक कि चाहत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
यही एक काम बुरा, जिंदगी में हमने किया है
यही एक काम बुरा, जिंदगी में हमने किया है
gurudeenverma198
She never apologized for being a hopeless romantic, and endless dreamer.
She never apologized for being a hopeless romantic, and endless dreamer.
Manisha Manjari
24/251. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/251. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कई बात अभी बाकी है
कई बात अभी बाकी है
Aman Sinha
वो इश्क़ कहलाता है !
वो इश्क़ कहलाता है !
Akash Yadav
धनतेरस जुआ कदापि न खेलें
धनतेरस जुआ कदापि न खेलें
कवि रमेशराज
#निरंकुशता-
#निरंकुशता-
*प्रणय प्रभात*
बाहर से खिलखिला कर हंसता हुआ
बाहर से खिलखिला कर हंसता हुआ
Ranjeet kumar patre
कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं /लवकुश यादव
कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
बीन अधीन फणीश।
बीन अधीन फणीश।
Neelam Sharma
मुसलसल ईमान रख
मुसलसल ईमान रख
Bodhisatva kastooriya
निर्दोष कौन ?
निर्दोष कौन ?
Dhirendra Singh
वो मुज़्दा भी एक नया ख़्वाब दिखाती है,
वो मुज़्दा भी एक नया ख़्वाब दिखाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*चुप रहने की आदत है*
*चुप रहने की आदत है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...