ख़्वाब उन के
छत पर चढ़ कर रोज, वो मुझे इशारा करती थी
परदे के पीछे छुप कर, वो मुझे निहारा करती थी।
सुन ना ले कोई दूजा, हम दोंनो की प्यारी बातें
चुपके चुपके नयनों से, वो मुझे पुकारा करती थी।
छत पर चढ़ कर रोज, वो मुझे इशारा करती थी
परदे के पीछे छुप कर, वो मुझे निहारा करती थी।
सुन ना ले कोई दूजा, हम दोंनो की प्यारी बातें
चुपके चुपके नयनों से, वो मुझे पुकारा करती थी।