ख़ुदा जाने कैसी हवा ये चली है
इतनी भी हमसे , क्या बेरुखी है
न तू ही मिला न खबर ही मिली है
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टूटे हैं जज्बात शाखों से दिल की
ख़ुदा जाने कैसी हवा ये चली है
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कपिल कुमार
14/10/2016
इतनी भी हमसे , क्या बेरुखी है
न तू ही मिला न खबर ही मिली है
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टूटे हैं जज्बात शाखों से दिल की
ख़ुदा जाने कैसी हवा ये चली है
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कपिल कुमार
14/10/2016