ख़ुदकुशी
खुदकुशी से खुशी, क्या कोई भी पाते हैं।
त्यागकर निज प्राण, सबको ही रुलाते हैं।
हो जाते मुक्त भले ही, खुद पीड़ा से वे-
जीवन भर तिल-तिल,अपनों को तड़पाते हैं।
खुदकुशी से खुशी, क्या कोई भी पाते हैं।
त्यागकर निज प्राण, सबको ही रुलाते हैं।
हो जाते मुक्त भले ही, खुद पीड़ा से वे-
जीवन भर तिल-तिल,अपनों को तड़पाते हैं।