क़िता
क़िता
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मुझपे इतना फक़त करम’ करदे।
दूर तनहाई के अलम’ कर दे
दस्तखत अपने प्यार का जानां’
दिल के औराक़ पर रक़म’ कर दे।
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Jameel Saqlaini Ujhanvi
क़िता
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मुझपे इतना फक़त करम’ करदे।
दूर तनहाई के अलम’ कर दे
दस्तखत अपने प्यार का जानां’
दिल के औराक़ पर रक़म’ कर दे।
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Jameel Saqlaini Ujhanvi