कितना हराएगी ये जिंदगी मुझे।
बेवजह मुझसे फिर ख़फ़ा क्यों है - संदीप ठाकुर
सारी रोशनी को अपना बना कर बैठ गए
कुछ लोग बात को यूॅं ही बतंगड़ बनाते हैं!
रातें ज्यादा काली हो तो समझें चटक उजाला होगा।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
राजर्षि अरुण की नई प्रकाशित पुस्तक "धूप के उजाले में" पर एक नजर
आप और हम जीवन के सच... मांँ और पत्नी
रंगमंच कलाकार तुलेंद्र यादव जीवन परिचय
क्यों दिल पे बोझ उठाकर चलते हो
जबसे हम चार पैसे कमाने लगे हैं
आज जगा लें अंतःकरण।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
जानां कभी तो मेरे हाल भी पूछ लिया करो,