चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
फूल को,कलियों को,तोड़ना पड़ा
कैसे कहें के तुझसे प्यार ही प्यार है,
कुछ बिखरे हुए एहसास
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*सपना देखो हिंदी गूँजे, सारे हिंदुस्तान में(गीत)*
ग़ज़ल _नसीब मिल के भी अकसर यहां नहीं मिलता ,
दोहा सप्तक. . . . . . रोटी
नारी री पीड़
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
हर बार बीमारी ही वजह नही होती
कैसे कह दूँ....? नींद चैन की सोने दो...!
"समाज की सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोग बदलना चाहते हैं,
सोचके बत्तिहर बुत्ताएल लोकके व्यवहार अंधा होइछ, ढल-फुँनगी पर
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
मंत्र: वंदे वंछितालाभाय चंद्रार्धकृत शेखराम् । वृषारूढाम् शू