*श्री राधाकृष्णन को पुण्य प्रणाम है (गीत)*
अपूर्ण नींद और किसी भी मादक वस्तु का नशा दोनों ही शरीर को अन
तकलीफ इस बात की नहीं है की हम मर जायेंगे तकलीफ इस बात है की
मुबारक़ हो तुम्हें ये दिन सुहाना
दिल को सिर्फ तेरी याद ही , क्यों आती है हरदम
तूने ही मुझको जीने का आयाम दिया है
लेखनी कहती यही है
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
कहना तुम ख़ुद से कि तुमसे बेहतर यहां तुम्हें कोई नहीं जानता,
ब्राह्मण बुराई का पात्र नहीं है
लोग कितनी आशा लगाकर यहाॅं आते हैं...