*रामपुर में सर्वप्रथम गणतंत्र दिवस समारोह के प्रत्यक्षदर्शी श्री रामनाथ टंडन*
उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
जहाँ जहाँ कोई उर्दू ज़बान बोलता है।
In the end, we always regret the choices we didn’t make, the
खयालों ख्वाब पर कब्जा मुझे अच्छा नहीं लगता
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
बस एक प्रहार कटु वचन का - मन बर्फ हो जाए
मंज़िलों से गुमराह भी कर देते हैं कुछ लोग.!
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'