गंगा सेवा के दस दिवस (द्वितीय दिवस)
यही मेरे दिल में ख्याल चल रहा है तुम मुझसे ख़फ़ा हो या मैं खुद
I became extremely pleased to go through your marvellous ach
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
आप खुद का इतिहास पढ़कर भी एक अनपढ़ को
नहीं कोई धरम उनका
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
इंडिया दिल में बैठ चुका है दूर नहीं कर पाओगे।
सबकी सुन सुन के, अब में इतना गिर गया ।
"कहने को हैरत-अंगेज के अलावा कुछ नहीं है ll
मधुशाला में लोग मदहोश नजर क्यों आते हैं
यदि आपके पास नकारात्मक प्रकृति और प्रवृत्ति के लोग हैं तो उन
हमें लगा कि वो, गए-गुजरे निकले
मनुष्य भी जब ग्रहों का फेर समझ कर
उदास रात सितारों ने मुझसे पूछ लिया,
*शूल फ़ूलों बिना बिखर जाएँगे*
क़त्ल कर गया तो क्या हुआ, इश्क़ ही तो है-
दोस्ती की कीमत - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तुम्हारा हर लहज़ा, हर अंदाज़,